Sunday, July 10, 2011

बुन्देली पावस गीत

कैसो झम-झम बरसो पानी,

सूनी धरती लगे भरी.

सूनी धरती लगे भरी की,

सूखी धरती लगे हरी. कैसो बरसो..............

गर्र-गर्र बदरा गर्जत है,

बिजरी भई दीवानी,

आस-पास सब लगे समुन्दर,

भरो खुपडियन पानी,

गिर गयी भीत बगल बालेन की,

उनने जो परसाल धरी. कैसो बरसो ...............

झींगुर झांझ बजावैं

दादुर अपनों राग अलापें ,

बचे-कुचे मैं कुटकी-मछरा

हेमोग्लोबिन नापें,

बिजरी बालेन की बेईमानी,

अबकी साल बड़ी अखरी. कैसो बरसो.........................

भोलू-छोटू सीख रहे है

अंगना मैं तैराकी,

बैठ बरोठे हेर रही है

उनकों बूड़ी काकी,

बाकी सब मिल साथ चलायें

देखो नाव भरी बखरी. कैसो बरसो...............

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