कैसो झम-झम बरसो पानी,
सूनी धरती लगे भरी.
सूनी धरती लगे भरी की,
सूखी धरती लगे हरी. कैसो बरसो..............
गर्र-गर्र बदरा गर्जत है,
बिजरी भई दीवानी,
आस-पास सब लगे समुन्दर,
भरो खुपडियन पानी,
गिर गयी भीत बगल बालेन की,
उनने जो परसाल धरी. कैसो बरसो ...............
झींगुर झांझ बजावैं
दादुर अपनों राग अलापें ,
बचे-कुचे मैं कुटकी-मछरा
हेमोग्लोबिन नापें,
बिजरी बालेन की बेईमानी,
अबकी साल बड़ी अखरी. कैसो बरसो.........................
भोलू-छोटू सीख रहे है
अंगना मैं तैराकी,
बैठ बरोठे हेर रही है
उनकों बूड़ी काकी,
बाकी सब मिल साथ चलायें
देखो नाव भरी बखरी. कैसो बरसो...............
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