Thursday, February 23, 2012

चंद लम्हे

भूल जाओ प्यार के वो चंद लम्हे।
कब रहे है प्यार के पावंद लम्हे॥
याद से इनकी कसक बढ़ती रहेगी,
ये किसी नासूर के मानिंद लम्हे॥
आँख में कोई चुभन बन कर चुभेंगे,
मत करो आँखों में तुम ये बंद लम्हे॥
बेबसी की नज़्म पर हमने लिखे जो,
आ गिरे है ये उन्ही के छंद लम्हे॥
आपके लम्हात में ही जी सकेंगे,
दे गए जो आपको आनंद लम्हे॥
मत करो ख्वाहिश वफ़ा की तुम 'अनुज',
ये सदा से ही रहे जयचन्द लम्हे॥


डॉ० अनुज भदौरिया "जालौनवी"

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