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Thursday, August 4, 2011

Monday, July 18, 2011

इक प्रात होगी.


नव दिवाकर, नव किरण संग,
कल नयी इक प्रात होगी.
कुछ नयापन सा समेटे,
कल नयी इक बात होगी.
प्रात उगना सूर्य का
नित डूब जाना साँझ ढलते ;
क्या कभी देखा किसी ने,
बेवसी में हाथ मलते ;
है पता उसको नियति का,
बाद उसके रात होगी.
कुछ नयापन सा समेटे,
कल नयी इक बात होगी.
रात-दिन, सुख-दुःख सरीखे,
रोज आते रोज जाते;
हम न जाने क्यों उन्ही को,
सोचकर के छटपटाते ;
आज गम है, कल ख़ुशी की,
देखिये बरसात होंगी .
कुछ नयापन सा समेटे,
कल नयी इक बात होगी.
चल रही तो ज़िन्दगी,
रुक जाएगी तो मौत है ;
उलझनें, हैरानियाँ तो,
ज़िन्दगी की सौत है ;
हर समय विश्वास से चल,
मंजिलें फिर साथ होंगी.
कुछ नयापन सा समेटे,
कल नयी इक बात होगी.

Saturday, June 18, 2011

जीवन

उलझनें-हैरानियाँ, जीवन नहीं है
ये सोचना नादानियाँ, जीवन नहीं है
क्या मिला क्या खो गया,
किस बात का अफ़सोस तुमको ?
जो मिला वो है तुम्हारा,
जो हो गया संतोष तुमको ;
भाग्य की बेईमानियाँ जीवन नहीं है
ये सोचना नादानियां जीवन नहीं है
क्या गलत है क्या सही है ?
समय का है चक्र देखों ;
तुमने जिस पल को जिया है,
करो उस पर फक्र देखो ;
वक़्त की शैतानियाँ जीवन नहीं है
ये सोचना नादानियाँ जीवन नहीं है
तुम अकेले थे कहाँ ?
इस जन्म से अवसान तक ;
सैकड़ों की भीड़ लेकर,
जाओगे शमशान तक ;
वाद की वीरानियाँ जीवन नहीं है
ये सोचना नादानियाँ जीवन नहीं है
हर किसी का मोल करना,
ज़िन्दगी या हाट है ?
क्या खरीदोगे, सभी कुछ
यहाँ बंदरबांट है;
लाभ है या हानियाँ जीवन नहीं है
ये सोचना नादानियाँ जीवन नहीं है