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Wednesday, September 28, 2011

मेरी सुन ले तू मनुहार


तू ही जग की पालनहारी,तू ही भाग्य विधाता।
तेरे दर पर आया हूँ मैं, शेरों वाली माता॥
सबके तू भंडार भरे हैं, खाली कोई न जाता।
मैं भी अपनी विनती लेकर, द्वार तुम्हारे आता॥
मेरी सुन ले तू मनुहार,
आया मैया जी के द्वार।
आया मैया जी के द्वार,
कर दे मेरा बेड़ा पार॥
तू ही अम्बे, तू जगदम्बे, तू ही जग कल्याणी,
सबके मन के भाव तू जाने, सबके दिल की वाणी;
तुझसे बड़ा न कोई, तेरी महिमा अपरम्पार॥
एक लाल का सुख-दुःख जग में, माता ने पहचाना,
इस बंधन से नहीं है कोई, बंधन और सुहाना;
आज निभा कर इस बंधन को, कर दे तू उद्धार॥
संकट हरणी, आज हमारे, बिगड़े काज संवारो,
पाप किये जो इस पापी ने, सारे पाप उतारो;
तू जो दया करे तो होगा, माँ मुझ पर उपकार॥
दीन, दुखी, निर्धन और कोढ़ी, द्वार तुम्हारे आये,
जो माँगा सो पाया सबने, खाली हाथ न जाए;
मैं तो मांगूं अपनी माँ से, बस थोडा सा प्यार॥
डॉ० अनुज भदौरिया