अनुज साहित्य
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Sunday, June 19, 2011
प्यार
ढेरों प्यार मुफ्त मिलता था
बचपन था ये बात पुरानी।
चोरी कर यौवन में पाया ,
ये भी अब बन गयी कहानी॥
आज मांगने पर भी हमको,
कोई प्यार नहीं देता है।
हाय बुढ़ापा! इसीलिए तो,
ढली उम्र में दुःख देता है॥
डॉ अनुज भदौरिया
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